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नज़र में...

नज़र में तुम्हारी बस जाती, ऐसी भी मेरी तस्वीर ना थी, बांध के रखती भी कैसे, प्यार में जंजीर ना थी, रोक लेती तुम्हें खुद तक, ऐसी मेरी तदबीर ना थी, चंद झटकों से बिखर जाती, इतनी नाज़ुक तकदीर ना थी।

By Sarita Gupta
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