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नदियों की...
नदियों की...
नदियों की...
“
नदियों की कलकल
कोयल की कुहू
नरम लता का लहराना
पपीहे की पीहू
प्रकृति की हंसी है
झलक रही
प्रफुल्लित करती
देह संग रूह - नूतन
”
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