साहित्य है वह सागर जिसमें समा जाती है गंगा जमुना कावेरी कृष्णा नर्मदा जैसी भावों की महानदियां और इनके जल से आचमन कर पूरा जगत हो जाता है आनन्दित है - नूतन
स्वच्छ जल में गंदगी मिलाना, स्वच्छ वायु में जहरीली गैस मिलाना, अपने आने वाले कल के प्रति है अक्षम्य गलती-नूतन
लॉकडाउन ने यद्यपि मानव को तो घर के भीतर कैद किया, प्रकृति ने पर शुद्ध होकर नव श्रृंगार कर नवजीवन का श्वास लिया - नूतन
लॉकडाउन ने यद्यपि मानव को तो घर के भीतर कैद किया, प्रकृति ने पर शुद्ध होकर नव श्रृंगार कर नवजीवन का श्वास लिया - नूतन
नदियों की कलकल कोयल की कुहू नरम लता का लहराना पपीहे की पीहू प्रकृति की हंसी है झलक रही प्रफुल्लित करती देह संग रूह - नूतन