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मेरी जिंदगी की सबसे अहम किरदार हैं मेरी आई(माँ) बहुत ज्यादा गरीबी और अस्सी रूं बाबा की तन्ख्वाह में हम चार भाईबहन को पढ़ाया,और अपने पाँव पर खड़ा किया , रात, दिन सिलाई करती, सुबह तीन बजे से काम करतीं, अनाज का एक दाना भी न फेंकती कभी। आज 85वर्ष की हैं।
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