“
एक स्वास्थय कर्मी की पत्नी क्या सोचती है...
घर में अकेले रहना, और सोचते रहना कब घर आने को मिलेगा उन्हे, लंच पर इंतजार करते डिनर का वक्त हो जाता है, डर की एक अदृश्य तलवार हर समय सर पर लटकी रहती है। मैं कैसे खा लूँ। हे ईश्वर कोरोना से रक्षा कर हम सबकी
”