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कभी-कभी...

कभी-कभी आपको सिर्फ महसूस करने के लिए किताब के पन्ने को पलटना पड़ता है, जिस पन्ने पर आप अटके होते है, उसकी तुलना में आपके जीवन की किताब अधिक होती है। आगे बढ़ने से डरना बंद करो। ज़ख्म के इस अध्याय को पढ़ना बंद करो। झूठी हंसी से ज़ख्म पहुंचाना बंद करो।

By Ayushmati Sharma
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