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जब बात देश...

जब बात देश की होती है , निज स्वार्थ की होली जलाता हूँ। अश्फ़ाक , भगत , बिस्मिल-आज़ाद , वीरों को हृदय में पाता हू जो काम देश के आते हैं , उनके चरणों की धूल सदा , निज जीवन तन-मन - धन, सपनों , परिवार से पहले लाता हूँ... — घनश्याम शर्मा

By Ghanshyam Sharma
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