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हम दिमाग से...

हम दिमाग से ज्यादा दिल से सोचते हैं इसलिए हर बार नाकामयाब होते हैं हम चाहते हुए भी चुप नहीं रह सकते हम दीवानों की बात मत पूछो जी .... इंसान के दुःखदर्द से हम तिलमिला उठते तो हैं पशु .पंछी कीड़े मकोड़े का भी दर्द महसूस करते हैं दिन रात ,सोत

By Abasaheb Mhaske
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