ये आंखें पागल राह निहारती हैं, रात को सोते सोते जग जाती हैं। ये आंखें पागल राह निहारती हैं, रात को सोते सोते जग जाती हैं।
जब हंस के ही जीता हूँ तो जाने क्यों याद आती है तेरी। जब हंस के ही जीता हूँ तो जाने क्यों याद आती है तेरी।