सुन रे प्राणी ! मन लगाकर भेद की बात कहूँ। गुजरा वक्त फिर न आवेगा प्रभु की शरण गहूँ।। सुन रे प्राणी ! मन लगाकर भेद की बात कहूँ। गुजरा वक्त फिर न आवेगा प्रभु की शरण...