उसके स्पर्श से अग्नि खिली अब था उसका श्रृंगार वही वो बनी सीता, वो हुई सती। उसके स्पर्श से अग्नि खिली अब था उसका श्रृंगार वही वो बनी सीता, वो हुई सती।