मैंने अक्सर उनको देखा था, चौराहों पर ताशों में, कभी शादी में, बारातों में, कुछ सामाजिक तमाशों में भा... मैंने अक्सर उनको देखा था, चौराहों पर ताशों में, कभी शादी में, बारातों में, कुछ स...
खुली अदालत में सज़ा देनी चाहिए…. समाज के कलंक ये साफ़ होना चाहिए। खुली अदालत में सज़ा देनी चाहिए…. समाज के कलंक ये साफ़ होना चाहिए।