आवरण मुख से' अपने हटालो प्रिये, मैं निरख रुप, तृष्णा बुझाता रहूँ । आवरण मुख से' अपने हटालो प्रिये, मैं निरख रुप, तृष्णा बुझाता रहूँ ।