बिना स्याही तुमने बहुत कुछ लिखा और बन्द कमरे की स्याह घुटन में मैंने बहुत कुछ पढ़ा बिना स्याही तुमने बहुत कुछ लिखा और बन्द कमरे की स्याह घुटन में मैंने बह...
पंछी जैसी बेटियाँ, देती पिंजड़ा तोड़। भाये कैद न बेड़ियाँ, उड़ जातीं सब छोड़।। पंछी जैसी बेटियाँ, देती पिंजड़ा तोड़। भाये कैद न बेड़ियाँ, उड़ जातीं सब छोड़।।