जिसने मिटाया है मुझको हाथों कि लकीरों से। उसी के मेहंदी में उभर रहे हैं हम। जिसने मिटाया है मुझको हाथों कि लकीरों से। उसी के मेहंदी में उभर रहे हैं हम।