रहा न गया, पूछता गया, पछताता गया। बताते है ये पेड़ जब पौधे थे, रहा न गया, पूछता गया, पछताता गया। बताते है ये पेड़ जब पौधे थे,
जज़्बात दौलत के तराजू में गुम हो गयेखुली सड़क के खरीददार हो गऐऔर हम बचपन से अपने दरकिनार हो गऐ। जज़्बात दौलत के तराजू में गुम हो गयेखुली सड़क के खरीददार हो गऐऔर हम बचपन से अपने...