निंदा तो है रस माधुरी, सबकी प्यास बुझाए, ये तो वो माया, जो ना पकड़ी ना छोड़ी जाए। निंदा तो है रस माधुरी, सबकी प्यास बुझाए, ये तो वो माया, जो ना पकड़ी ना छोड़ी ...