ना सासू पूछे न साली, समझती कुछ भी नहीं अब घरवाली। ना सासू पूछे न साली, समझती कुछ भी नहीं अब घरवाली।
संवार अपना साँवला रूप आकाश निहारती है फिर बिदाई के गीत सुन रो पड़ती है पगली ब्याह से पहले बिदा किया..... संवार अपना साँवला रूप आकाश निहारती है फिर बिदाई के गीत सुन रो पड़ती है पगली ब्याह...