हम लाशों के ढेर पर बैठे हुए, किसी फ़िल्म के आलोचक या किसी खेल के दर्शक बने हुए है। हम लाशों के ढेर पर बैठे हुए, किसी फ़िल्म के आलोचक या किसी खेल के दर्शक बने ...
यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और विषाक्त खाने के कारण ... यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और व...
गरीबी के पक्ष में अक्सर कोई गवाह नहीं दिखता। कोई गवाही मायने नहीं रखती। गरीबी के पक्ष में अक्सर कोई गवाह नहीं दिखता। कोई गवाही मायने नहीं रखती।