उठ्ठे और कूच-ए-महबूब में पहुँचे आशिक़ ये मुसाफ़िर नहीं रस्ते में ठहरने वाले उठ्ठे और कूच-ए-महबूब में पहुँचे आशिक़ ये मुसाफ़िर नहीं रस्ते में ठहरने वाले
ऊपर सूरज आग है और चंदा है दाग, ऊपर सूरज आग है और चंदा है दाग,
माना की दाग है मुझ में, पर बेदाग़ तो तुम भी नहीं। माना की दाग है मुझ में, पर बेदाग़ तो तुम भी नहीं।