इत उत क्यों तू भटक रहा जब, अंतस पैठे इश खोज रहा तू मंदिर मंदिर। इत उत क्यों तू भटक रहा जब, अंतस पैठे इश खोज रहा तू मंदिर मंदिर।
पद वंदन जगदीश तुम्हारे नित करता। पद वंदन जगदीश तुम्हारे नित करता।