अपने ही अपनों के हृदय पर ,ऐसी कर रहे चोट , लकड़ी ही जंगल को काटे, बन कुल्हाड़ी की मोंठ । अपने ही अपनों के हृदय पर ,ऐसी कर रहे चोट , लकड़ी ही जंगल को काटे, बन कुल्हाड़ी की...