कि अपने खून से इस देश को हमने सँवारा है, चढ़ाई भेंट मस्तक की कभी इज़्ज़त न हारी है। कि अपने खून से इस देश को हमने सँवारा है, चढ़ाई भेंट मस्तक की कभी इज़्ज़त न हारी ...