हर एक ज़र्रा इस जिस्म ओ रूह का ये कहता है ऐ "ज़लज़ला" तुझे नफरत करना नहीं आता है। हर एक ज़र्रा इस जिस्म ओ रूह का ये कहता है ऐ "ज़लज़ला" तुझे नफरत करना नहीं आता...