अपने प्रेम का राग बजाओ सीमा पर मन के पहरे में आग लगावो भेदों को बंदी बनवाओ कहो कबीर कहाँ फिर आये... अपने प्रेम का राग बजाओ सीमा पर मन के पहरे में आग लगावो भेदों को बंदी बनवाओ क...