हाय, कितनी झीनी ओट में झरते रहे आलोक के सोते अवदात- और मुझे घेरे रही अँधेरे अकेले घर में अँधेरी ... हाय, कितनी झीनी ओट में झरते रहे आलोक के सोते अवदात- और मुझे घेरे रही अँधेरे अ...