बैर या प्रीति है तुम्हारी, इस बेजान परिंदे से, बार-बार इसे तुम, गिराती क्यों हो ! बैर या प्रीति है तुम्हारी, इस बेजान परिंदे से, बार-बार इसे तुम, गिराती क्यों हो ...