ज़िन्दगी भर
ज़िन्दगी भर
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ज़िन्दगी भर यूँ हीं खफा रहे
कभी किस्मत को कोसा,
कभी वक़्त को
माँ ने मंदिर मंदिर जाके
मेरी सलामती की दुआ की
ज़िन्दगी भर यूँ हीं तलाशते रहे
कभी चाँद सितारों में,
कभी किताबों में
माँ की मुस्कुराती आँखो में
हर एक रब की जगह थी
माटी का खिलौना था,
हीरे का समझ बैठा
एक पल में पराया हो गया,
वक़्त की अदा थी