शमशानो में मुझे बहार नज़र आती है
शमशानो में मुझे बहार नज़र आती है

1 min

491
शमशानो में मुझे बहार नज़र आती है
खुदगर्ज़ ज़िन्दगी तू कितना मुझे सताती है
अब नेमत मिल जाए भी तो क्या फर्क पड़ता है
माँ न कुछ कहती है, न कुछ सुन पाती है
यादों के सहारे शायद काट लूँ बाकी ज़िन्दगी
जलने के बाद सिर्फ राख़ रह जाती है
माँ तेरे बिन सब कुछ पराया सा लगता है
जाने के बाद ही क्यों अहमियत समझ आती है
अब मुझसा फ़कीर कौन मिलेगा साहिब
मदहोश ज़माने को मेरी दौलत नज़र आती है
कोशिश करूँगा माँ ज़िन्दगी को मुक़म्मल बनाने की
खुशनसीब होते है वो जिन पर मौत मुस्कुराती है