ये दिल
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आँखों में नींद भरी पड़ी है,
एक बोझ रखा है सीने पे,
ये धक - धक जो कर रहा है,
ये दिल किसका है सीने में ?
मेरा न अब मैं भी हूँ रहा,
किसको पाने की आस में हूँ,
रहा न कोई लक्ष्य अब तो,
न जाने किस प्रयास में हूँ ।
मन हल्का सा विचलित है,
एक कमी खलती है जीने में,
ये धक-धक जो कर रहा है,
ये दिल किसका है सीने में ?
नज़रों के आगे सब धुंधला सा रहा,
किसी से इश्क़ के नशे में चूर सा हूँ,
न जाने किन यादों के पास खड़ा,
मैं एक असलियत से दूर सा हूँ।
चैन की आती क्यूँ स्वास नहीं,
एक बोझ रखा है सीने पे,
मैंने किसी का कुछ उधार रखा,
ये दिल जिसका है सीने में ।