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Yashika Saboo

Others Children

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Yashika Saboo

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ये आसमां भी कुछ कहता है

ये आसमां भी कुछ कहता है

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ये आसमां भी कुछ कहता है तू सुन ले जरा।

खामोशी में अक्सर तुझसे बहुत कुछ कहता हैं, 

तू सुन ले जरा।

ये हवाओं का यूं छूकर गुजर जाना न जाने फिर दिल में एक सुकून सा आना।

ये अंधेरी रातों में ये चाँद का यूं मुस्कुराना, कुछ कहता हैं।

ये सितारों की चमक आंखों में सुकून का लम्हा बढ़ा देती हैं।

ये आसमां में हवाई जहाज मानो सपनों की उड़ान से वाकिफ करा देता हैं।

ये रात के टूटे सितारे हमारी खुशियों की नई कहानियां बनाते हैं।

खुद टूट के हमारी जिंदगी में एक नया सपना सजाते हैं।

ये लंबी –लंबी इमारतें भी रोशन हो जाती हैं,

हर बार रात जब सुकून का लम्हा दे जाती हैं।

बादलों की दोस्ती अक्सर दिख जाती हैं।

जब भी हाथ पकड़ती है बिजली बन जाती हैं।

बिजली दिख जाना मानो घरों में एक हंसती हुई तस्वीर खींच जाती हैं,

हाथों में वो तस्वीर कभी न आती है।

मानो या ना मानो वो मासूमियत मुझे आज भी बहुत याद आती हैं।


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