यादों का मंजर समय का महत्व
यादों का मंजर समय का महत्व
आहा आज अचानक कुछ याद आ गया
गुड्डी पिक्चर का गाना बोले रे पपीहरा सुना गया
यादों के समंदर में डुबकी लगा हुआ गया
क्या समय था वह जब हमारी सबसे कठोर वाइस प्रिंसिपल टीचर ने हमको।
पूरी क्लास को अपने खर्चे से पिक्चर दिखाई गुड्डी।
बोली अगर एक भी लड़की पिक्चर देखने नहीं आई तो उसकी कर दूंगी मैं छुट्टी।
बहुत डरते थे उनसे जान सुखती थी।
सबने हां बोल कर सहमति में सिर हिला दिया।
दूसरे दिन हमको पिक्चर हॉल में जाने का समय दिया गया।
हम दो फ्रेंड थोड़ा लेट पहुंचे मगर हमको बैठने दिया गया।
पिक्चर हॉल के बाहर से जब वापस निकल रहे थे
चुप चाप चुपके चुपके ताकि मैडम देख ना ले,
मगर उनकी खोजी आंखों ने हमको पकड़ ही लिया।
जो डांट हमने उस दिन खाई
उसने हमको नानी याद दिला दिया।
मगर उसका रहा असर 1 साल उनकी चली क्लास।
हम कभी उनकी क्लास में देर से ना पहुंचे।
ना ही हमने कभी उनकी क्लास को है छोड़ा।
अभी याद आता है वह डांट का मंजर।
तो मन में खुशी और चेहरे पर मुस्कुराहट दौड़ जाती है ।
क्या दिन थे वह भी बहुत याद आते हैं।
वह हमारी मैडम भी बहुत याद आती है।
जिन्होंने हमको समय और पढ़ाई का महत्व है।
समझाया और वह हमारी जिंदगी में बहुत काम आया।
जिसको हमने अपने आगे आने वाली पीढ़ी को समझाया ।
और उन्होंने समझ कर अपने भविष्य को है बनाया।
