यादें
यादें
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याद है कब पिछली दफा, समुंदर किनारे सूरज ढलते हुए देखा था...
याद है कब पिछली दफा, बारिश में मिटटी की खुशबू का लुफ्त उठाया था...
याद है कब पिछली दफा, पापा को गले लगाया था और मम्मी के कांधे पर सर रखा था...
ज़िंदगी तो यूंही चलती रहेगी मेरे दोस्त,बस अफ़सोस ये न हो की ये यादे सिर्फ यादें ही रह जाए...
