वक़्त
वक़्त
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ये वक़्त क्या है?
ये हर पल बदलता है,
इसे बदलने में ज़माना
लगता है।
ये वक़्त क्या है?
ये साहिल पे रहम भी करता है,
इसे अपनी कीमत जताना भी
आता है।
ये वक़्त क्या है?
ये वो सफीना है जिसमे
हम सफर करते है,
ये वो दरिया है जिसे
डूबना भी आता है।
ये वक़्त क्या है?
इसके मज़ाक भी अनोखे है,
ये ख़ुशी में जल्द और ग़म में
सुस्त होता है।
ये वक़्त क्या है?
ये राज़ छुपाने में भी माहिर है,
इसने सारी रिवायते देखीं है
मगर इसके क़िस्से से वाक़िफ़
कोई नहीं।
ये वक़्त क्या है?
किसी ने कहा ताहेर तुम्हारा कल
क्या मुकाम था और आज क्या हष्र है,
मंज़र कुछ ऐसा हुआ की वक़्त
रुका रहा और में गुज़रता चला गया।
