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Shruti Singh

Others

4.7  

Shruti Singh

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वो रिश्ता

वो रिश्ता

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के तुम्हें गले लगाने का मन करता है,

के बिना रुके तुमसे बातें करने का

मन करता है,

पर उफ्फ वो रिश्ता टूट चुका है।


के तरस गई है ये आँखें तुम्हारी

आँखो से गुफ्तगू करने को,

पर उफ्फ वो रिश्ता टूट चुका है।


के बरसों से तुम्हारी तस्वीर

देख के रह गए है,

के एक मौका तो दो तुम्हारा

दीदार करने का,

पर उफ्फ वो रिश्ता टूट चुका है।


के चलो जीते है ना वो पुराने पल,

के देख लेना समय भी थम जायेगा,

पर उफ्फ वो रिश्ता टूट चुका है।


के जी भर के रोने दो मुझे अपनी बाहों में,

के मत चुप होना और चले जाना तुम,

के एक बार शक्ल तो दिखा दो अपनी,

पर उफ्फ वो रिश्ता टूट चुका है।


के हार गई मैं।

के हार गई मैं, इस मोहब्बत के आगे,

के चलो ना अपना भी एक आशियां बनाए,

के सिर्फ तुम हो और मैं,

पर उफ्फ वो रिश्ता टूट चुका है।


के प्यार में तो कमी ना थी...

के चाहते तो तुम्हें आज भी है,

पर बस यही समझ नहीं आता,

के वो रिश्ता क्यों टूट चुका है?


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