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vivek Mishra

Others

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विनती है

विनती है

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बजा दो प्रेम की बंसी मेरे सरकार विनती है,

बीच मझधार है नैय्या,लगा दो पार विनती है।।

बजा दो प्रेम की बंसी मेरे सरकार विनती है।।


आठों पहर मन को सताए याद मोहन की,

न दिल को चैन मिलता है,सब्र भी टूट जाता है,

मुझे बस तेरा ही सहारा है,दया कर दो ये विनती है।

बजा दो प्रेम की बंसी मेरे सरकार विनती है।।

बीच मझधार है नैय्या,लगा दो पार विनती है।।


अधम संसार में सब कुछ,तुम्हारा ज्ञान ही सत है,

दीनता मन में है छाई,मिटा दो अब तो आ जाओ,

मिटा दो क्षोभ जीवन का,सुनो गोपाल गिनती है।

बजा दो प्रेम की बंसी मेरे सरकार विनती है।।

बीच मझधार है नैय्या,लगा दो पार विनती है।।


ठोकरें पग पे हर खाता,सहारा ना नजर आता,

बुझा है ज्ञान का दीपक,मुझे कुछ मर्म ना आता है,

शरण लो अब करो उद्धार,द्वारिकाधीश विनती है।

बजा दो प्रेम की बंसी मेरे सरकार विनती है।।

बीच मझधार है नैय्या,लगा दो पार विनती है।।


बजा दो प्रेम की बंसी मेरे सरकार बनती है।।


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