द्रोपदी के केश थे खींचे दुश्शाशन ने भरी सभा में ! द्रोपदी के केश थे खींचे दुश्शाशन ने भरी सभा में !
मृत्यु लोक को छोड़कर मैं अब अपने धाम को जाना चाहूँ । मृत्यु लोक को छोड़कर मैं अब अपने धाम को जाना चाहूँ ।
विदुर जी पूछें मैत्रेय मुनि से भगवान तो निर्विकार निर्गुण हैं ! विदुर जी पूछें मैत्रेय मुनि से भगवान तो निर्विकार निर्गुण हैं !