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Sp Jyoti Prabha

Others

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Sp Jyoti Prabha

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वह चाय और बारिश की जोड़ी!

वह चाय और बारिश की जोड़ी!

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रोज की तरह आज का यह दिन नहीं था,

रोज की तरह आज का यह दिन मुझे ऊबा नहीं रहा था।।

आज कुछ अलग था,

मौसम में कुछ जादू सा था।।


वो लहराती हुई हवाएं आज मेरे रूह से कुछ बतला रही थी,

वो कड़कड़ाती बिजलियां मानो आज मुझे मेरे अंदर की ताकत से रूबरू करवा रही थी,

वो गिल्ली मिट्टी की खुशबू मानो मेरे दिल को छू के चली जा रही थी,

वो बारिश की एक एक बूंद, आज मुझीसे मुझ को मिला रही थी।।


इस सुहाने मौसम में अकेला मजा नहीं आरहा था,

किसी और का साथ चाहना इस समय पर्याप्त न था,

मेरे अंदर की उस रूह को पहचाने केलिए एक और रूह चाहिए था,

किसी और की याद न आई मुझे तब,क्यूंकि मेरे दिमाग में चाय का ख्याल आरहा था।।


रसोड़े में जाके ,

अदरक कूट के ,

इलायची मसल के,

लौंग को झिंझोड़ के,

तेज पत्ता का छोटा सा टुकड़ा तोड़ के,

थोड़ी ज्यादा चाय पत्ती और थोड़ी कम चीनी डाल के,

श्वेत रंग की मलाई से लिपटी हुई दूध डालके,

मैं उस चाय की प्याली को निहारने लगी।


चाय की महक से खिल उठा था यह मौसम,

अब अकेला पन भी दूर हो चुका था,

उस बारिश को देखे चाय की चुस्कियां लेने लगी थी में,

पता नही कब इस बारिश और चाय की जोड़ी ने मुझको मुझीसे ही मिला दिया!!



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