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Sakharam Aachrekar

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Sakharam Aachrekar

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ऊसकी यादो मे...

ऊसकी यादो मे...

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आज फिर पुरानी राहों से, गूंज रही थी वो आवाज

ढ़ूंढ रहा था उस आवाज में, मैं वही पुराने अलफाज

कदर न की उस आवाज ने, मुझे चीरता चला गया

उसकी यादों मे फिर मैं, दर्द-ए-दिल में बहता गया।


बुझ रहे थे दीप सारे फिर भी मैं जल रहा था

तुझसे मिलने ओ शमा, सारे गमों से मिल रहा था

चांद जो दिखा वो, सैलाब-ए-गम मे डूबा गया

उसकी यादों मे फिर मै, दर्द-ए-दिल मे बहता गया।


राज-ए-दिल ना कहने के खातिर, थे कभी वो हमसे खफा

दर्द सुनाया आशिकी से, तब हुए वो बेवफा

जिंदगी का वास्ता फिर, रूठी हवा मे खो गया

उसकी यादों मे फिर मै दर्द-ए-दिल मे बहता गया।


जिंदगी के रास्ते भी, यूं गमों मे खो गए

जिस तरह दिल के महकश, जाम-ए-दिल को पी गए

मै मुसाफिर जिंदगी का, जिंदगी को खोता गया

उसकी यादों मे फिर मै, दर्द-ए -दिल मे बहता गया।


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