तुम क्या हो मेरे लिए
तुम क्या हो मेरे लिए
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मेरे दिल के सन्नाटे में
तुम एक आहट सी हो
मैं कोरे कागज़ सा
तुम मेरी लिखावट सी हो।
तुम मेरी कल्पना की
सुन्दर बुनावट सी हो
मैं कोरे कागज़ सा
तुम मेरी लिखावट सी हो।
इस नफरत भरे संसार में
जहा कोई किसी का नहीं होता
मैं तुम्हारे प्यार सा
तुम मेरी चाहत सी हो।
मैं कोरे कागज़ सा
तुम मेरी लिखावट सी हो
तुझसे दूर होकर
खुद के पास हू मैं।
शायद इसीलिए उदास हूँ मैं
मेरे चेहरे की इस उदासी पे
तुम एक मुस्कुराहट सी हो
मैं कोरे कागज़ सा
तुम मेरी लिखावट सी हो।
कुछ घबरा सा मैं जाता हूँ
ज़ब तू मेरे पास नहीं होती
तुमसे दूर हो जाने वाली बात
भी अब बर्दास्त नहीं होती।
गर मैं गहरे चोट सा हूँ
तो तुम उस पे मीठी राहत सी हो
मैं कोरे कागज़ सा
तुम मेरी लिखावट सी हो।