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Rachana Dixit

Others

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Rachana Dixit

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तिमिर

तिमिर

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तिमिर घोल कर बैठी थी मैं 

सुराही में अनवस्थान किया

तिमीरपान ने आँखों में

सुरमे वाला काम किया

सुरमा मचल उठा आँखों में

प्यालों से रसपान किया

पलक विचुम्बित अधर विचुम्बित 

तिमिर ने मद्द-पान किया

तिमिरांचल में उठी लहर ने

तिमिर तिमिर का गान किया

तिमिर शिखा पर चढ़ कर

उर ने तांडवी अवधान किया

तुम धवल धवल मैं तिमिर तिमिर

क्यों धवल तिमिर मुझे नाम दिया

तुम धवल चाँद मैं तिमीरपान

क्यों मेरा यूं आव्हान किया।



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