तपै तवा सी यह धरा दिनकर उगलैं आग। छाँह दुपहरी ढूँढती ठंडाई केरी फाग।। ठंडाई केरी फाग कहाँ जा ढूढैं... तपै तवा सी यह धरा दिनकर उगलैं आग। छाँह दुपहरी ढूँढती ठंडाई केरी फाग।। ठंडाई के...
शुष्क पात डार डार ग्रीष्म की बिछी बिसात। ज़िंदगी दुरूह होत उमस भरी नित प्रभात।। शुष्क पात डार डार ग्रीष्म की बिछी बिसात। ज़िंदगी दुरूह होत उमस भरी नित प्रभात।।