शुष्क पात डार डार ग्रीष्म की बिछी बिसात। ज़िंदगी दुरूह होत उमस भरी नित प्रभात।। शुष्क पात डार डार ग्रीष्म की बिछी बिसात। ज़िंदगी दुरूह होत उमस भरी नित प्रभात।।