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RAJESH KUMAR SONAR

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RAJESH KUMAR SONAR

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स्वागत बसन्त

स्वागत बसन्त

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टेसू में आग लगी , आम वृक्ष बौराया ,

अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,

स्वागत है ऋतुराज का , स्वागत है ऋतुराज का .......


चहुं ओर फूलों से धरती संवर गई ,

सुरभित हवाएं फिज़ां में बिखर गई ,

कुहू कुहू करके है कोयल ने बतलाया ,

अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,

स्वागत है ऋतुराज का , स्वागत है ऋतुराज का .......


कलियों के आसपास भौंरे मंडरा रहे ,

विरहन को पुष्प अब पलाश के जला रहे ,

पक्षियों के कलरव ने जग को है बतलाया ,

अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,

स्वागत है ऋतुराज का ,.स्वागत है ऋतुराज का .........


झड़ रही है पत्तियां ,कोंपल नव आ गये ,

नव प्रसूत पत्तियों से वृक्ष जगमगा गये ,

ठण्ड की विदाई हुई , संदेशा यह आया ,

अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,

स्वागत है ऋतुराज का , स्वागत है ऋतुराज का........



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