स्वागत बसन्त
स्वागत बसन्त
टेसू में आग लगी , आम वृक्ष बौराया ,
अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,
स्वागत है ऋतुराज का , स्वागत है ऋतुराज का .......
चहुं ओर फूलों से धरती संवर गई ,
सुरभित हवाएं फिज़ां में बिखर गई ,
कुहू कुहू करके है कोयल ने बतलाया ,
अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,
स्वागत है ऋतुराज का , स्वागत है ऋतुराज का .......
कलियों के आसपास भौंरे मंडरा रहे ,
विरहन को पुष्प अब पलाश के जला रहे ,
पक्षियों के कलरव ने जग को है बतलाया ,
अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,
स्वागत है ऋतुराज का ,.स्वागत है ऋतुराज का .........
झड़ रही है पत्तियां ,कोंपल नव आ गये ,
नव प्रसूत पत्तियों से वृक्ष जगमगा गये ,
ठण्ड की विदाई हुई , संदेशा यह आया ,
अब अपनी धरती में फिर से बसन्त आया ,
स्वागत है ऋतुराज का , स्वागत है ऋतुराज का........
