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RAJESH KUMAR SONAR

Others

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RAJESH KUMAR SONAR

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चांद और प्रेम

चांद और प्रेम

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भले चांद मुझसे बहुत दूर है ,

मगर रोशनी उससे पाता हूं मैं ,

वो किरणों से लिख गीत भेजा करें ,

उन्हें ही सदा गुनगुनाता हूं मैं , 

भले चांद मुझसे बहुत दूर है ,


संवारे सदा सारा नीला गगन ,

लुभाती सदा है सभी का नयन ,

सजाती धरा को समझकर चमन ,

कोई जब उसे खूबसूरत कहे ,

तो खुद को भी झटपट सजाता हूं मैं .....


लगे रात पूनम की वो चांदनी ,

सजाती मधुर गीतों से यामिनी ,

हृदय को खुशी दे वही रागिनी , 

लगे इतनी प्यारी कि हर पल उसे ,

गले खुद ही अपने लगाता हूं मैं .……..


मिलन को सुखद वह बनाया करें ,

विरह में तड़प वह जगाया करें ,

प्रणय और विरह गीत गाया करें ,

उड़ेले जो शब्दों से रस प्रीत का ,

तो उस रस का आनन्द उठाता हूं मैं ......


अंधेरे में कुछ पल को खो जाएं जब ,

तो फिर याद आये मुझे अपना रब ,

और भाये नहीं बात दुनिया की तब ,

वो जल्दी से आए मेरे सामने ,

ये ईश्वर से मन्नत मनाता हूं मैं ...


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