सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
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हे! वीणावादिनी हमको मेधा होने का वर दे,
अज्ञान दूर कर मुझसे ज्ञानरुपी प्रकाश भर दे,
विद्या का भंडार हो माँ तुम और स्वर की देवी,
कुछ रस अपने ही उस स्वर मुझमें भी भर दे।
मैं बालक हूं अज्ञानी कुछ ज्ञान के शब्द बता दो,
अंधकार को मेरे जीवन से माँ कोसों दूर भगा दो,
मैं बालक हूं तेरा ही और तुम हो मेरी प्रतिपालक,
माँ दूर कीजिए दुःख मेरे और सुख संचार जगा दो।
पार लगा दो माँ तुम मुझको मझधार पड़ी मेरी नैया,
तुम्हारे सिवा जीवन नैया का माँ होगा कौन खिवैया,
पार लगेगी यह जीवन नैया माँ तेरे ही करकमलों से,
शीश झुकाकर तुम्हें करूं नमन हे! वीणावादिनी मैया।
