~~ सर्दी कुछ कह जाती है ~~
~~ सर्दी कुछ कह जाती है ~~
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सर्दी भी अजीब है
जाने से पहले कुछ बतला कर जाती है
एक पलंग पर साथ में टीवी देखना
रिमोट के लिऐ झगड़ा करना
गर्म रोटी के इंतेज़ार में मूँगफली चबाना
ताश के गठ्ठर का फिर से गिरना
अँगीठी की आग में दिलों का पिघलना
रुके हुऐ आँसू को फिर से एक बार पोंछना
रज़ाई की गर्माहट में खींचा तानी
वहीँ पेंसिल और पेन की टकराव में तनातनी
टूटे प्याले में चाय की सुड़ सुड़
बहार पत्तों के बीच सर्र सर्र
अंदर किताबों के पन्नों की झींक झींक
बाहर हो चला अँधेरा
घर में है अभी उजाला
सर्दी भी कुछ कह जाती है
सबको जोड़ जाती है