rahul srivastava
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पिछले कुछ दिनों से परिंदे भी
ख़ामोश नहीं हैं,
अजीब सा मंज़र जो छा गया
है आसमान में।
बादल भी गर्मियों में बिना मौसम
बरस रहें रहे हैं,
जैसे साज़िश सी चल रही हो कोई
हवाओं में।
संशय