समय का मोल
समय का मोल
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अंधेरे अकेले में जब कोई बीज
कुछ लम्हा अकेले बिताता है
तब जा कर सही समय में
वो वृक्ष का रूप ले पाता है
और जो खुली हवा पानी का लुत्फ उठाता है
अपने अहंकार के तले, अंदर छुपे असीम
वृक्ष के रूप को नहीं समझ पाता है,
बाद में वही नष्ट हो कर मिट्टी में मिल कर
अन्य के लिए खाद बन जाता है
जो समय रहते जान लेता अपना मोल
सह कर अंधकार और वो घुटन
छू रहा होता वो भी गगन
