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Deepak Mandrawal

Others

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Deepak Mandrawal

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शिव-1

शिव-1

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दर्शन तो देता हूं।

मानवरुप शरीर को।।


पहचानने में पहचान करो।

भक्त-भाव की दृष्टि से।।


नव-निर्माण तो होता रहेगा।

मेरी दृष्टि से सृष्टि में ।।


खुले आसमान में दृष्टि दौड़ाना।

भभूत लगा है जो अंबर में।।


काल-चक्र को रोक रखा है।

दुर्लभ दृश्य दिखाने को।।


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