शिव-1
शिव-1

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दर्शन तो देता हूं।
मानवरुप शरीर को।।
पहचानने में पहचान करो।
भक्त-भाव की दृष्टि से।।
नव-निर्माण तो होता रहेगा।
मेरी दृष्टि से सृष्टि में ।।
खुले आसमान में दृष्टि दौड़ाना।
भभूत लगा है जो अंबर में।।
काल-चक्र को रोक रखा है।
दुर्लभ दृश्य दिखाने को।।